मोहब्बत ज़िंदगी है ज़िंदगी का नाम मस्ती है अगर मस्ती न हो तो ज़िंदगी मिट्टी से सस्ती है उगाओ दूर तक ऐ दोस्तों फ़स्लें मोहब्बत की मोहब्बत जिस जगह होती नहीं ला'नत बरसती है वो राह-ए-ज़िंदगी में मुस्कुराना भूल जाता है ग़रीबी जिस को अपनी ज़ुल्फ़ के पंजे में कसती है कभी वो जोश था अपने किनारे काट देती थी मगर अब तो नदी ख़ुद क़तरे क़तरे को तरसती है लुटेरे और क़ातिल हर जगह हैं शहर में 'अंजुम' नहीं मा'लूम हासिल उन को किस की सरपरस्ती है