मोहब्बत के हवाले ढूँढता है अँधेरों में उजाले ढूँढता है ख़ुदा जाने वो कैसा बावला है हरम में मय प्याले ढूँढता है मुसाफ़िर दो-क़दम चल कर परेशान कि अपने पा के छाले ढूँढता है समुंदर में तलाशें तो बहुत हैं ख़ज़ाने वो निराले ढूँढता है रहे ता-बूद क़ाएम राज़दारी ख़ुदा कुछ ऐसे ताले ढूँढता है