मोहब्बत के सभी जज़्बे तुम्हारे नाम करती हूँ वफ़ा के दिल-नशीं क़िस्से तुम्हारे नाम करती हूँ बनाया है जिन्हें मैं ने मोहब्बत के गुलाबों से तर-ओ-ताज़ा वो गुल-दस्ते तुम्हारे नाम करती हूँ नहीं कुछ और पाने की तमन्ना अब मिरे दिल में जो देखे आज तक सपने तुम्हारे नाम करती हूँ तुम्हें जी में बसाया है तुम्हें अपना बनाया है मैं अपनी ज़ात के हिस्से तुम्हारे नाम करती हूँ उन्हें मेरी मोहब्बत की निशानी तुम समझ लेना लिखे हैं मैं ने जो नग़्मे तुम्हारे नाम करती हूँ कहा गुल ने अक़ीदत से वतन की चूम कर मिट्टी मैं अपने चाँद से बेटे तुम्हारे नाम करती हूँ