मोहब्बतों की इनायतों से हुआ है दिल ये ख़राब बाबा ख़ुदा-परस्ती का तौर देखो बना है कैसा अज़ाब बाबा झुलस रहा है ज़मीं का सीना किरन किरन से दुआ करो तुम तरावतों की दो बूँद ले कर यहाँ भी बरसे सहाब बाबा है फ़ाक़ा-मस्ती का सिलसिला जब तो आए सख़्ती क़दम में कैसे ये ना-तवानी की लरज़िशें हैं न पी है मैं ने शराब बाबा फ़ज़ा की जब मो'तबर मतानत गुरेज़-पा हो के रह गई है कहाँ लिखेगा वो ख़ामुशी से सवाल पढ़ कर जवाब बाबा हज़ार तफ़तीश पर मुझे अब पता चला है कि मेरे दिल को बहुत ही बेचैन कर गया था सहर से शब का हिजाब बाबा तरह तरह से तबस्सुमों में लपेट कर ख़्वाहिशों ने लूटा किसे छुपाऊँ कहाँ से बोलूँ बताओ मुझ को वो ख़्वाब बाबा मुरव्वतों की मसर्रतों की कहानियाँ दर्ज की गई थीं जगह जगह से फटी पड़ी है न खोलो अब वो किताब बाबा सऊबतों की अफ़ादियत से कोई भी मुंकिर न हो सकेगा कि ख़ार के दरमियान रह कर महक रहा है गुलाब बाबा वो साठ-बासठ की सीढ़ियों पर थकावटों से है चूर फिर भी समेट कर हौसलों को 'जाफ़र' तलाशता है शबाब बाबा