मोहब्बतों में उदास हो कर रहा न जाए उदास मौसम का तज़्किरा भी किया न जाए मिलो तो ऐसे कि आइना आइने से जैसे दिलों में रंजिश या बुग़्ज़ रख कर मिला न जाए मैं चाहती हूँ बग़ैर मेरे न रह सके तू मैं चाहती बग़ैर तेरे रहा न जाए ख़याल रखिए सफ़र में अपने भी हम-सफ़र का क़दम से आगे क़दम बढ़ा कर चला न जाए जो लफ़्ज़ मुझ में तड़प रहे हैं वे क्या करेंगे किसी बुरे को अगर बुरा भी कहा न जाए