मैं लफ़्ज़ों के असर का मो'जिज़ा हूँ मुझे देखो मुजस्सम इक दुआ हूँ मैं छोटों में बहुत छोटा हूँ लेकिन बड़ों के दरमियाँ सब से बड़ा हूँ तलाश-ए-रिज़्क़ में निकला था घर से अब अपने आप को मैं ढूँढता हूँ अता कर हौसले को इस्तक़ामत मिरे माबूद तन्हा रह गया हूँ मिरे अल्फ़ाज़ हैं आवाज़ 'मोहसिन' मैं नग़्मा हूँ अगरचे बे-सदा हूँ