मुद्दतों देख लिया चुप रह के By Ghazal << जाना कहाँ है और कहाँ जा र... आँखें खुली हुई हैं तो मंज... >> मुद्दतों देख लिया चुप रह के आओ कुछ उन से भी देखें कह के इस तग़ाफ़ुल पे भी अल्लाह अल्लाह याद आता है कोई रह रह के है रवानी की भी हद इक आख़िर मौज जाएगी कहाँ तक बह के सच तो ये है कि नदामत ही हुई राज़ की बात किसी से कह के Share on: