मुए सहते सहते जफ़ा-कारियाँ कोई हम से सीखे वफ़ादारियाँ हमारी तो गुज़री इसी तौर उम्र यही नाला करना यही ज़ारियाँ फ़रिश्ता जहाँ काम करता न था मिरी आह ने बर्छियाँ मारियाँ गया जान से इक जहाँ ले के शोख़ न तुझ से गईं ये दिल-आज़ारियाँ कहाँ तक ये तकलीफ़-ए-मा ला-युताक़ हुईं मुद्दतों नाज़-बर्दारियाँ ख़त-ओ-काकुल-ओ-ज़ुल्फ़-ओ-अंदाज़-ओ-नाज़ हुईं दाम-ए-रह सद-गिरफ़्तारियाँ किया दर्द-ओ-ग़म ने मुझे ना-उमीद कि मजनूँ को ये ही थीं बीमारियाँ तिरी आश्नाई से ही हद हुई बहुत की थीं दुनिया में हम यारियाँ न भाई हमारी तो क़ुदरत नहीं खिंचीं 'मीर' तुझ से ही ये ख़्वारियाँ