मुँह से जो मिलाइए किसी को क्यूँ दाग़ लगाइए किसी को आईना-ए-कज-नुमा हैं अहबाब सूरत न दिखाइए किसी को जो सूरत-ए-ज़ख़्म ख़ून रो दे ऐसा न हँसाइए किसी को कुछ ख़ूब नहीं है आदत-ए-ज़ुल्म हरगिज़ न सताइए किसी को दीवार से कोई फोड़ेगा सर दर से न उठाइए किसी को मुश्ताक़ है कोई ज़ेर-ए-दीवार आवाज़ सुनाइए किसी को मुश्किल है बिगाड़ कर बनाना हरगिज़ न मिटाइए किसी को इस फ़िक्र में है मिरा परी-रू दीवाना बनाइए किसी को होता है 'शुऊर' दर्द दिल में फोड़ा ये दिखाइए किसी को