मुहासबा किया न जाए इस में किस का क्या गया न मुझ से ही रहा गया न उस से कुछ सहा गया ये दिल से दिल का वास्ता भी कितना दिल-फ़रेब है जगी है दिल में रौशनी कि तेरा दर्द भा गया ये किस के नक़्श-ए-पा पे सब ने ए'तिबार कर लिया ये कौन पेश-रौ बना कि रास्ता बना गया नज़र मिला के उस से मेरी बात तक नहीं हुई मिरे मुआ'मले में जाने कौन क्या लगा गया अभी भी मेरी जेब में है रौशनी बची हुई अँधेरा किस उमीद पर मिरे क़रीब आ गया ये नील मुझ से कह रहा है तंज़ की ज़बान में वहाँ पे जा सदा लगा जहाँ तिरा असा गया मुझे पता नहीं मलक कि किस मक़ाम पर हूँ मैं ज़बाँ से जो निकल गई उसे अदब लिखा गया