मुहीत-ए-पाक पे मौज-ए-हुनर में रौशन हूँ मैं ए'तिबार-ए-कफ़-ए-कूज़ा-ए-गर में रौशन हूँ मैं हाशिया हूँ तिरे जल्वा-ज़ार-ए-हैरत का मैं तेरे साथ तिरे बाम-ओ-दर में रौशन हूँ मैं आप-अपना उजाला हूँ शब के दामन पर मैं आप-अपनी दुआ-ए-सहर में रौशन हूँ बुझा सकेगी न मुझ को हवा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ मैं ताक़-ए-मा-हसल-ए-ख़ैर-ओ-शर में रौशन हूँ उठा के ले गया मुझ को गिरोह-ए-नारा-कशाँ मैं इंक़लाब की झूटी ख़बर में रौशन हूँ वही है कोहनगी-ए-ज़ुल्मत-ए-ख़ला और मैं नई उड़ान नए बाल-ओ-पर में रौशन हूँ न जाने कब से हूँ आतिश-ब-जाँ तमाशा कर तिरे लिए मैं तिरी रह-गुज़र में रौशन हूँ चमक रही है उदासी मिरे हवाले से मैं 'रम्ज़' अब भी किसी चश्म-ए-तर में रौशन हूँ