मुझ को तो कुछ और दिखा है आँखों के उस पार तुम बतलाओ आख़िर क्या है आँखों के उस पार सपना कोई बिखर चुका है आँखों के उस पार दरिया जैसे टूट पड़ा है आँखों के उस पार लिक्खूँ तेरा नाम पढ़ूँ तो सांवल तेरा नाम तेरा ही बस नाम लिखा है आँखों के उस पार बीनाई तेरे रस्तों को थाम के बैठी है तेरे घर का दर भी वा है आँखों के उस पार आँखों के इस पार तो जैसे दरिया ठहर गया लेकिन सहरा बिखर गया है आँखों के उस पार दिन ता'बीर मिरी चौखट पर ला कर रख देगा रात ने तेरा ख़्वाब बुना है आँखों के उस पार रख देता है हाथ आँखों पर ग़ैर को जब भी देखूँ जाने ऐसा कौन छुपा है आँखों के उस पार उस को जाता देख रही हैं हँस हँस कर ये आँखें जाने क्या कुछ बीत रहा है आँखों के उस पार अब तू आ कर देखेगा तो रोता जाएगा हम ने ऐसा बैन किया है आँखों के उस पार बस इक ख़्वाब की मय्यत है और मातम-दारी है हम ने जा कर देख लिया है आँखों के उस पार हम ने तेरी आँखों में रह कर महसूस किया कितना दर्द छुपा रक्खा है आँखों के उस पार अब दुनिया के चेहरों में तुझ को मैं क्या देखूँ दिल ने तुझ को देख लिया है आँखों के उस पार लाख ज़माना बेच आए तू लाख हो मुझ से दूर लेकिन बिल्कुल पास खड़ा है आँखों के उस पार क्यों न हर इक जानिब अब शहज़ादे की सूरत हो हम ने उस को नक़्श किया है आँखों के उस पार तुझ को तो आबाद लगा करती हैं ये आँखें वीरानी का शहर बसा है आँखों के उस पार ओझल ओझल रहने वाला मेरी आँखों से मुझ से कितनी बार मिला है आँखों के उस पार आँखों से तो निकल पड़ा है पल भर में लेकिन आँसू का सामान बचा है आँखों के उस पार हैरानी उस पार से आख़िर कर बैठी है कूच वो कितना हैरान खड़ा है आँखों के उस पार तुझ को भी सरशार न कर दें आँखें तो कहना एक तिलिस्म-ए-होश-रुबा है आँखों के उस पार पत्थर हो कर रह जाएँगी आँखें मूँद 'रबाब' अब भी उस का ख़्वाब पड़ा है आँखों के उस पार