मुझ को ये फ़िक्र कब है कि साया कहाँ गया सूरज को रो रहा हूँ ख़ुदाया कहाँ गया फिर आइने में ख़ून दिखाई दिया मुझे आँखों में आ गया तो छुपाया कहाँ गया आवाज़ दे रहा था कोई मुझ को ख़्वाब में लेकिन ख़बर नहीं कि बुलाया कहाँ गया कितने चराग़ घर में जलाए गए न पूछ घर आप जल गया है जलाया कहाँ गया ये भी ख़बर नहीं है कि हमराह कौन है पूछा कहाँ गया है बताया कहाँ गया वो भी बदल गया है मुझे छोड़ने के बाद मुझ से भी अपने आप में आया कहाँ गया तुझ को गँवा दिया है मगर अपने आप को बर्बाद कर दिया है गँवाया कहाँ गया