मुझ पे जब से इनायत तुम्हारी हुई मेरी दीवानी दुनिया ये सारी हुई वक़्त ज़ाएअ' ही होगा तुम्हारा यहाँ ज़िंदगी की ये बाज़ी है हारी हुई अब किसी से शिकायत नहीं है मुझे दूसरी अच्छी पहले से पारी हुई होश आएगा तुम को नहीं अब कभी तुम पे कैसी ख़ुमारी है तारी हुई नाम पहले सफ़्हे में तुम्हारा भी है रात को पहली सूची जो जारी हुई जम गए जैसे अल्फ़ाज़ सारे मिरे बोलने की हमारी जो बारी हुई