मुझ से चुनाँ-चुनीं न करो मैं नशे मैं हूँ मैं जो कहूँ नहीं न करो मैं नशे में हूँ इंसाँ नशे में हो तो वो छुपता नहीं कभी हर-चंद तुम यक़ीं न करो मैं नशे में हूँ ये वक़्त है फ़राख़-दिली के सुलूक का तंग अपनी आस्तीं न करो मैं नशे में हूँ बे-इख़्तियार चूम न लूँ मैं कहीं इन्हें आँखों को ख़शमगीं न करो मैं नशे में हूँ हर-चंद मेरे हक़ में है ये रहमत-ए-ख़ुदा आँचल मिरे क़रीं न करो मैं नशे में हूँ नश्शे में सुर्ख़ रंग तही-अज़-ख़तर नहीं? होंटों को अहमरीं न करो मैं नशे में हूँ देखो मैं कह रहा हूँ तुम्हें पय-ब-पय 'अदम' मुझ को बहुत हज़ीं न करो मैं नशे में हूँ