मुझे दे के दिल जान खोना पड़ा है ग़रज़ हाथ दोनों से धोना पड़ा है जो रोना यही है तो फूटेंगी आँखें मुझे अब तो आँखों का रोना पड़ा है किए सैकड़ों घर मोहब्बत ने ग़ारत सुनो जिस मोहल्ले में रोना पड़ा है मैं पाता नहीं दिल को सीने में अपने कई दिन से ख़ाली ये कोना पड़ा है करो चल के आबाद अब गोर ऐ 'रिंद' बहुत दिन से सूना वो कोना पड़ा है