मुक़द्दर को बदलना चाहता हूँ तुम्हारे साथ चलना चाहता हूँ न-जाने क्या कशिश है तुझ में ऐसी तिरी ख़ातिर मैं जलना चाहता हूँ कोई तो हो जो मेरा हाथ थामे मैं ये दुनिया बदलना चाहता हूँ मुझे ठोकर न मारो आसरा दो मिरे यारो सँभलना चाहता हूँ जिन्हें छूने से ज़ख़्मी हो हथेली मैं ऐसे गुल कुचलना चाहता हूँ