मुख़ालिफ़ हो ज़मीं मेरी कि दुश्मन आसमाँ मेरा

मुख़ालिफ़ हो ज़मीं मेरी कि दुश्मन आसमाँ मेरा
रहेगा रहती दुनिया तक चमन में आशियाँ मेरा

मैं चाहूँ भी तो खुल सकता नहीं राज़-ए-निहाँ मेरा
कि इस महफ़िल में कोई भी नहीं है हम-ज़बाँ मेरा

नहीं मुमकिन कहीं भी मिल सके मुझ को निशाँ मेरा
अगर दामन न छोड़ेंगे ये नाक़ूस-ओ-अज़ाँ मेरा

यक़ीं है मुझ को अपने दस्त-ओ-बाज़ू अज़्म-ओ-हिम्मत पर
बला से गर मुख़ालिफ़ है ये दौर-ए-आसमाँ मेरा

उड़ा कर ले चली है मुझ को मंज़िल की कशिश देखूँ
कहाँ तक साथ देते हैं ये अहल-ए-कारवाँ मेरा

अभी उम्मीद का दामन है मेरे दस्त-ए-हिम्मत में
ख़ुदा रक्खे सलामत है अभी अज़्म-ए-जवाँ मेरा

ये दुनिया है हवादिस-गाह या मकतब मोहब्बत का
ज़माना हर क़दम पर ले रहा है इम्तिहाँ मेरा

मुसलसल बारिश-ए-फ़ौलाद-ओ-आतिश है जहाँ मैं हूँ
न रास आएगा तुझ को आलम-ए-बर्क़-ओ-दुख़ाँ मेरा

पनपते हैं यहाँ बूटे न खिलती हैं यहाँ कलियाँ
ख़िज़ाँ-ख़ुर्दा चमन सर-सर-ज़दा है गुल्सिताँ मेरा

अगर यूँ ही रही गर्दिश में दुनिया तो अजब क्या है
फिर इक दिन सज्दा-गाह-ए-क़ुदसियाँ हो आस्ताँ मेरा

गुल-ओ-बुलबुल को नज़्र-ए-ताक़-ए-निस्याँ कर चुका हूँ मैं
मुअर्रा क्यों न हो हुस्न-ए-तसन्नो से बयाँ मेरा

अभी वहम-ओ-गुमाँ की वादियों में तू है सरगर्दां
तिरी मंज़िल से कोसों बढ़ गया है कारवाँ मेरा

ये शेर-ओ-शायरी है 'अश्क' इक़्लीम-ए-सुख़न मुझ को
क़लम मेरा अलम है और ज़बाँ मेरी निशाँ मेरा


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close