मुख़्तलिफ़ एक ही सिपाह का दुख इक प्यादे का एक शाह का दुख मंज़िलों तक हमारे साथ गया मुख़्तसर एक शाहराह का दुख दुख हमें इक अधूरे रिश्ते का इसी रिश्ते से फिर निबाह का दुख या'नी यक-तरफ़ा था हमारा इश्क़ हम ने पाला था ख़्वाह-मख़ाह का दुख आप शहज़ादी लेने आए हैं कैसे समझेंगे बादशाह का दुख