मुख-फाट मुँह पे खाएँगे तलवार हो सो हो दबने के भी तो उस से नहीं यार हो सो हो जाना मुझे भी अब तरफ़-ए-यार हो सो हो या बोले या बताए वो धुत्कार हो सो हो सय्याद को तो ख़्वाब-ए-तग़ाफ़ुल से काम है अहवाल-ए-ताइरान-ए-गिरफ़्तार हो सो हो सौदाई बन के उस पे मुझे हाथ डालना हंगामा इस में जो सर-ए-बाज़ार हो सो हो जी पर यही ठनी है तो आज उस को छेड़ कर खानी मुझे भी गालियाँ दो चार हो सो हो गो इस में हाथा-पाई भी हो जावे डर नहीं लूँगा मैं उस का बोसा-ए-रुख़्सार हो सो हो मुझ को भी काटनी क़फ़स अपने की तीलियाँ या टूटे या बचे मिरी मिन्क़ार हो सो हो शिकवा कभी न यार का लावेंगे मुँह पे हम हम पर जफ़ा-ए-चर्ख़-ए-सितम-गार हो सो हो अपनी शिफ़ा को अपने ख़ुदा पर तू छोड़ दे आख़िर तो मौत है दिल-ए-बीमार हो सो हो मानी शबीह-ए-यार पे मत आप को मिटा लूँगा बना मैं तुझ से जो तय्यार हो सो हो ऐ दिल! तू सादा-रूयों की भपकी में आ न जा इक दिन लिपट के छीन ले तलवार हो सो हो सर फोड़ कर के जाएँगे उस की गली में हम रंगेंगे ख़ून से दर-ओ-दीवार हो सो हो सनआँ की तरह इक बुत-ए-काफ़िर के इश्क़ में काफ़िर हो बाँधना हमें ज़ुन्नार हो सो हो लेनी मता-ए-हुस्न हमें इस में ताजिरो! नुक़सान-ए-जान-ओ-माल-ए-दिल-ए-ज़ार हो सो हो शोख़ी है तेरी तब्अ में शिद्दत से 'मुसहफ़ी' ले भाग सर से शैख़ के दस्तार हो सो हो