चलेगा जाम किसी का न उस के जाम के बा'द पिएगा कौन 'मुनव्वर' से तिश्ना-काम के बा'द जो राज़ था मिरी आवारगी पे इफ़्शा था तिलिस्म बन गई दुनिया मिरे क़याम के बा'द किया है ख़ून-ए-तमन्ना ने सुर्ख़-रू क्या क्या तमाम काम हुआ अर्ज़-ए-ना-तमाम के बा'द जो बे-तलब मुझे बख़्शा था माँगने पे भी दे करीम बुख़्ल ये कैसा है लुत्फ़-ए-आम के बा'द हज़ार हैफ़ 'मुनव्वर' की तीरा-बख़्ती पर फ़ुज़ूल सा है तख़ल्लुस ये उस के नाम के बा'द