'मीर' क्या चीज़ है 'सौदा' क्या है मुझ को इन लोगों की परवा क्या है ये अगर अर्से में आए ज़ीं पेश देख तू मेरा भी शोहरा क्या है ऐ सबा शम-ए-सहर को न सता अब बुझी जाए है अर्सा क्या है गर किया क़त्ल किसी को तो क्या चलो इस बात का चर्चा क्या है एक दिन उस के मैं दर तक जो गया ये समझ देखूँ तो होता क्या है थे कई शख़्स बहम हर्फ़-ज़नाँ मैं कहा उन से ये ग़ौग़ा क्या है सुन के वाँ से जो निकल आया एक वो मुझे देख के कहता क्या है आप जो देर से इस जा हैं खड़े ये कहें आप ने बेचा क्या है मिल गए ख़ाक में हम अब तो कह 'मुसहफ़ी' तेरी तमन्ना क्या है