मुश्किल से चमन में हमें एक बार मिला फूल बस हाथ लगाया था कि टहनी से झड़ा फूल ख़ुश्बू जो नहीं है न सही रंग तो देखो बालों में सजा लो कोई काग़ज़ का बना फूल इस शब को चमक की नहीं हाजत से महक की आँखों से सितारे नहीं होंटों से गिरा फूल अब तक तिरे होंटों पे तबस्सुम का गुमाँ है हम को तो है महबूब यही आध-खिला फूल इस धूप की शिद्दत में भी बे-आब हैं पौदे हालात यही हैं तो गुमाँ है कि गया फूल