मुश्किल तिरी उड़ान है सूरज नज़र में रख तारीक आसमान है सूरज नज़र में रख जाना है रौशनी की तरफ़ लौट कर तुझे दो पल का ये जहान है सूरज नज़र में रख बे-रंग इस के फूल हैं बे-नूर हर शजर जंगल ये गुल्सितान है सूरज नज़र में रख ये अर्ज़-ए-बे-सबात है हर मोड़ पर यहाँ ज़ुल्मत का अर्सलान है सूरज नज़र में रख हर रहगुज़र में ज़ुल्म-ओ-सितम का ही राज है ये शहर-ए-बे-अमान है सूरज नज़र में रख दुनिया पुल-ए-सिरात से कुछ कम नहीं 'मिराक़' हर पल इक इम्तिहान है सूरज नज़र में रख