मुश्किलों में पड़ गए अपना ख़ुदा कह कर तुझे तू ही कह दे हम पुकारें और क्या कह कर तुझे हाल-ए-दिल कहने की क्या अब भी ज़रूरत रह गई जब पुकारा हम ने अपना दिल-रुबा कह कर तुझे जादा-ए-मंज़िल पे खा कर ठोकरें होश आ गया किस क़दर ख़ुश थे हम अपना रहनुमा कह कर तुझे तेरे होते तेरी दुनिया में ये बेदाद-ओ-सितम लोग पछताने लगे अपना ख़ुदा कह कर तुझे इक ज़माना हम से ग़ुस्सा है ये हम ने क्या किया सब को छोटा कर दिया सब से बड़ा कह कर तुझे सारी दुनिया से अदावत मोल ले ली मुफ़्त में हम ने अपना दोस्त अपना हम-नवा कह कर तुझे आह ये अपना सफ़ीना और गिर्दाब-ए-बला सख़्त शर्मिंदा हुए हम नाख़ुदा कह कर तुझे किस तरह ये हम वफ़ादारों से देखा जाएगा लोग महफ़िल में पुकारें बेवफ़ा कह कर तुझे और भी उन की निगाहों में मोहज़्ज़ब हो गया क्या मिला 'सरशार' दिल का माजरा कह कर तुझे