मुस्कुराने में दिन गुज़रता है ग़म छुपाने में दिन गुज़रता है आप का क्या है आप का अक्सर दिल दुखाने में दिन गुज़रता है याद आए तो उन के कूचे में आने जाने में दिन गुज़रता है आज भी मय-कदे में साक़ी का मय पिलाने में दिन गुज़रता है रूठ जाता है हम से 'शाफ़ी' जब फिर मनाने में दिन गुज़रता है