मोहब्बत ग़ैर से की है तो मेरा मुद्दआ' ले लो मिरे दिल पे गुज़रती क्या है इस का भी मज़ा ले लो जो कहता हूँ जफ़ाएँ छोड़ दो अहद-ए-वफ़ा ले लो तो कहते हैं ख़ुदा से तुम मुक़द्दर दूसरा ले लो जो पूछा छोड़ दूँ उल्फ़त तो बोले इस से क्या होगा जो पूछा अपना दिल ले लूँ तो झुँझला कर कहा ले लो जनाब-ए-ख़िज़्र राह-ए-इश्क़ में लड़ने से क्या हासिल मैं अपना रास्ता ले लूँ तुम अपना रास्ता ले लो शब-ए-फ़ुर्क़त जो दर्द-ए-दिल से 'मुज़्तर' दम उलझता है क़ज़ा कहती है घबराओ नहीं मुझ से दवा ले लो