न आ जाए किसी पर दिल किसी का न हो यारब कोई माइल किसी का लगा इक हाथ भी क्या देखता है कहीं करते हैं डर क़ातिल किसी का अदा से उस ने दो बातें बना कर किसी की जान ले ली दिल किसी का उठा जब दर्द-ए-पहलू दिल पुकारा नहीं कोई दम-ए-मुश्किल किसी का अभी जीना पड़ा कुछ दिन हमें और टला फिर वादा-ए-बातिल किसी का बहुत आहिस्ता चिलमन को उठाना मिलें आँखें कि बैठा दिल किसी का 'हफ़ीज़' इस तरह भरते हो जो आहें दुखाओगे मगर तुम दिल किसी का