न बर्क़ न शोला ने शरर हूँ जो कहिए सो क़िस्सा मुख़्तसर हूँ जूँ अक्स मेरा कहाँ ठिकाना तेरे जल्वे से जल्वा-गर हूँ ऐ नक़्श-ए-क़दम रह-ए-फ़ना में मैं तुझ से टुक एक पेशतर हूँ ये ख़ैर है ख़ैर-ए-महज़ है तो बंदा गंदा जो मैं बशर हूँ मालूम हुई न कुछ हक़ीक़त मैं क्या हूँ कौन हूँ किधर हूँ ऐ उम्र-ए-ब-बाद-ए-रफ़्ता ले चल मैं भी तेरे ही हम-सफ़र हूँ जूँ शोला मियान-ए-बे-क़रारी क़ाएम अपने क़रार पर हूँ हूँ नाला-ए-ना-रसा व-लेकिन अपने हक़ में तो कारगर हूँ आते हैं नज़र सभी हुनर-मंद मैं ही एक साफ़ बे-हुनर हूँ हूँ तीर-ए-बला का मैं निशाना शमशीर-ए-जफ़ा का मैं सिपर हूँ लेना मिरी ख़ैर-ख़बर तो ख़ैर दिला ग़ाफ़िल हूँ निपट ही बे-ख़बर हूँ भूले भी कभू न याद करना बार-ए-ख़ातिर मैं इस क़दर हूँ हूँ लग़व मैं आप अपनी ज़ातों औरों का नफ़अ ने ज़रर हूँ तेरे दामन से लग रहा हूँ अपनी तर-दामनी से तर हूँ दर्द की ज़ात-ए-पाक का है गो ऐन नहीं वले 'असर' हूँ