न जब दिखलाए कुछ भी आँख प्यारे तो फिर तू अपने अंदर झाँक प्यारे तलातुम-ख़ेज़ है जो दिल का दरिया सिफ़ाल-ए-दश्त-ए-वहशत फाँक प्यारे अगर महताब दिल का बुझ गया है सर-ए-मिज़्गाँ सितारे टाँक प्यारे है उल्फ़त से दिगर इज़हार-ए-उल्फ़त न इक लाठी से सब को हाँक प्यारे