न जाने कौन सी ग़फ़लत में हूँ मैं अजब से दर्द की शिद्दत में हूँ मैं चलो फिर कल मिलूँगा यार तुम से अभी तो इश्क़ की मय्यत में हूँ मैं दिखा था ख़्वाब में रोता हुआ दिल कहूँ क्या अब तलक दहशत में हूँ मैं मुझे तुम ढूँढते फिरते कहाँ हो तुम्हारे प्यार की लज़्ज़त में हूँ मैं हमें बिछड़े तो इक अर्सा हुआ पर सुना है आज तक आदत में हूँ मैं किसी जादू या टोने का असर है सुनो कुछ रोज़ से दिक़्क़त में हूँ मैं तुम्हें कुछ 'मीत' से कहना है शायद चले आओ अभी फ़ुर्सत में हूँ मैं