न ख़ुशी अच्छी है ऐ दिल न मलाल अच्छा है यार जिस हाल में रक्खे वही हाल अच्छा है दिल-ए-बेताब को पहलू में मचलते क्या देर सुन ले इतना किसी काफ़िर का जमाल अच्छा है बात उल्टी वो समझते हैं जो कुछ कहता हूँ अब के पूछा तो ये कह दूँगा कि हाल अच्छा है सोहबत आईने से बचपन में ख़ुदा ख़ैर करे वो अभी से कहीं समझें न जमाल अच्छा है मुश्तरी दिल का ये कह कह के बनाया उन को चीज़ अनोखी है नई जिंस है माल अच्छा है चश्म ओ दिल जिस के हों मुश्ताक़ वो सूरत अच्छी जिस की तारीफ़ हो घर घर वो जमाल अच्छा है यार तक रोज़ पहुँचती है बुराई मेरी रश्क होता है कि मुझ से मिरा हाल अच्छा है अपनी आँखें नज़र आती हैं जो अच्छी उन को जानते हैं मिरे बीमार का हाल अच्छा है बातों बातों में लगा लाए हसीनों को 'जलील' तुम को भी सेहर-बयानी में कमाल अच्छा है