न मस्जिदें न शिवाले तलाश करते हैं ये भूके पेट निवाले तलाश करते हैं हमारी सादा-दिली देखो इस ज़माने में दुखों को बाँटने वाले तलाश करते हैं मुझे तो इस पे तअ'ज्जुब है अक़्ल के अंधे दिए बुझा के उजाले तलाश करते हैं किसी के काम न आए कभी ज़माने मैं और अपने चाहने वाले तलाश करते हैं रह-ए-वफ़ा में अभी दो क़दम चले भी नहीं अभी से पाँव के छाले तलाश करते हैं निगाह रखते हैं साक़ी वो तेरी आँखों पर सुकून-ए-दिल के जो प्याले तलाश करते हैं