न मोहतसिब की न हूर-ओ-जिनाँ की बात करो मय-ए-कुहन की निगार-ए-जवाँ की बात करो किसी की ताबिश-ए-रुख़्सार का कहो क़िस्सा किसी के गेसू-ए-अम्बर-फ़िशाँ की बात करो ज़िया है शाहिद-ओ-शम्अ'-ओ-शराब से उस की फ़रोग़-ए-महफ़िल-ए-रुहानियाँ की बात करो जो मुद्दआ' हो किसी क़िबला-ए-मुराद का ज़िक्र तो आस्ताना-ए-पीर-ए-मुग़ाँ की बात करो नहीं हुआ जो तुलूअ' आफ़्ताब तो फ़िलहाल क़मर की बात करो कहकशाँ की बात करो रहेगा मशग़ला-ए-याद-ए-रफ़्तगाँ कब तक गुज़र रहा है जो उस कारवाँ की बात करो ये क़ैद-ओ-सैद के अंदेशा-हा-ए-बे-जा क्या चमन की फ़िक्र करो आशियाँ की बात करो यही जहान है हंगामा-ज़ार-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ इसी के सूद इसी के ज़ियाँ की बात करो अब इस चमन में न सय्याद है न गुलचीं है करो तो अब सितम-ए-बाग़बाँ की बात करो ख़ुदा के ज़िक्र का मौक़ा नहीं यहाँ 'सालिक' दयार-ए-हिन्द में हुस्न-ए-बुताँ की बात करो