न पानियों का इज़्तिरार शहर में न मौसमों का ए'तिबार शहर में मिसाल-ए-मौजा-ए-हवा इधर उधर रवाँ-दवाँ है इंतिशार शहर में है शब गए घरों में रौशनी सी क्या है सब को किस का इंतिज़ार शहर में हर इक निगाह बे-मक़ाम बे-जहत हर एक जिस्म बे-दयार शहर में हर एक रंग आइने पे गर्द सा हर एक नक़्श दिल-ए-फ़िगार शहर में ख़ुदा के नाम झूट सच के सिलसिले ख़ुदा बहुत है नाम-दार शहर में