न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम जराहत-ए-दिल का By Ghazal << ज़िक्र भी उस से क्या भला ... जो इस शोर से 'मीर'... >> न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम जराहत-ए-दिल का कि उस में रेज़ा-ए-अल्मास जुज़्व-ए-आज़म है बहुत दिनों में तग़ाफ़ुल ने तेरे पैदा की वो इक निगह कि ब-ज़ाहिर निगाह से कम है Share on: