न सर-निगूँ न ब-ज़ाहिर उदास उदास चले अजीब शान से मरने वफ़ा-शनास चले बना के ख़ूगर-ए-एहसास-ए-दर्द-ओ-ग़म-ए-दिल को हमारे पास से सारे हुजूम-ए-यास चले सुना के अहल-ए-जुनूँ को बहार का मुज़्दा हवास वाले भी इक सम्त बद-हवास चले हयात नाम है ऐसे सफ़र का ऐ हमदम क़दम क़दम पे जहाँ फ़िक्र-ए-आस-ओ-यास चले ज़बाँ पे आए तो डर है बने न अफ़्साना वो बात जिस पे बहुत हर तरफ़ क़यास चले हमारी दल्क़-नवाज़ी पे रश्क करने को सुना है दैर-ओ-हरम से नज़र-शनास चले मज़ा तो जब है बहारों की फ़ैज़-ओ-बख़्शिश का कि 'अस्र' जाम भी बे-अर्ज़-ओ-इलतिमास चले