न हो शुऊ'र-ए-अदब ही तो गुफ़्तुगू क्या है By Ghazal << नज़र में नित-नई हैरानियाँ... क्या कोई ज़माने में सितमग... >> न हो शुऊ'र-ए-अदब ही तो गुफ़्तुगू क्या है किसी हसीं की न हो गर तो जुस्तुजू क्या है न मुस्कुराओ अगर तुम तो रंग-ओ-बू क्या है नज़र-नवाज़ बहारों की आबरू क्या है जो तिश्नगी न बुझा पाए वो सुबू क्या है जो आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है Share on: