न तजल्लियाँ न तसल्लियाँ न सलाम है न कलाम है तिरी जल्वा-गाह-ए-ख़याल में भी सुकूत ही का पयाम है अभी हुस्न महव-ए-ख़िराम है अभी शोख़ जल्वा-ए-आम है कभी ख़ल्वतों में भी राम है कि तख़य्युलात का दाम है न वो आरज़ूएँ ज़बाँ ज़बाँ न वो हसरतें हैं नज़र नज़र तिरी अंजुमन न वो अंजुमन न वो शौक़ ही का मक़ाम है न वो तूर-ए-नाज़ की बिजलियाँ न कलीम-ए-इश्क़ की शोख़ियाँ न वो रौनक़ें न वो इशरतें न वो सुब्ह है न वो शाम है जो शराब-ए-हुस्न-ओ-जमाल में भी हैं बुल-हवस की मिलावटें दिल-ए-मय-परस्त है ख़ूँ-फ़िशाँ कि ये मय-कदे का निज़ाम है दम-ए-काएनात फ़ुग़ाँ-फ़ुग़ाँ ग़म-ए-मुम्किनात है जाँ-सिताँ ये तसव्वुरात धुआँ-धुआँ कि अदम वजूद का नाम है है निशान-ए-ज़ख़्म सुबू-सुबू यहाँ साग़रों में लहू-लहू ये बुका ये नाला ये हिचकियाँ ये फ़ुग़ान-ए-शीशा-ओ-जाम है मिरी आह रौनक़-ए-अंजुमन है सदा-ए-दर्द सुख़न-सुख़न तिरी पर्दगी का ये बाँकपन कहाँ जल्वा है कहाँ बाम है है तलाश-ए-हुस्न मकाँ-मकाँ वही जुस्तुजू है ज़माँ-ज़माँ ये फ़रेब 'अख़्तर'-ए-ख़ुश-गुमाँ दिल-ए-मुब्तला का ही काम है