नदी की नाव की या हौसलों की कहानी तो सुनाओ दिल-जलों की जहाँ पर रास्ता गुम हो गया था वहीं से राह निकली मंज़िलों की मेरी आँखों से आँसू बह रहे हैं सुनी थी चीख़ मैं ने घायलों की समुंदर को नज़र आए न आए उदासी कम नहीं है साहिलों की कभी फ़ुर्सत मिले तो पूछ लेना बहुत मुश्किल है बातें मुश्किलों की