नफ़ी के जब्र से आज़ाद और सबात से दूर है काएनात कोई मेरी काएनात से दूर मिरा वजूद मिरी दास्ताँ का हिस्सा है मिरा निशाँ है कहीं पर हिसार-ए-ज़ात से दूर पता चला है कि चश्मा है आब-ए-हैवाँ का ज़मीं की हद से परे अरसा-ए-हयात से दूर निगार ख़ाने के अंदर निगार ख़ाने हैं कई ख़याल हैं मेरे तख़य्युलात से दूर ये सब्ज़ रंग ये शाख़ें तो हैं नज़र का फ़रेब उगा हुआ है शजर डाल और पात से दूर