नफ़रत रही किसी से मोहब्बत किसी के साथ निभ तो गई मिरी ख़ुश-ओ-ना-ख़ुश सभी के साथ चलते हो बज़्म-ए-वा'ज़ को यारान-ए-मय-कदा हो जाए कार-ए-ख़ैर भी कुछ दिल-लगी के साथ ऐ चश्म-ए-होश देख गुल-ए-नौ-शगुफ़्ता में कासा सवाल का कुलह-ए-ख़ुसरवी के साथ कल उन से झूट-मूट का वा'दा करा लिया आज उन का इंतिज़ार है किस बे-कली के साथ हालत ये है कभी जो हँसी आ गई मुझे आँसू भी कुछ निकल पड़े 'मोहसिन' हँसी के साथ