नहीं कम अफ़्व-ए-यज़्दानी बहुत है गुनाहों पर पशेमानी बहुत है कोई तो हादिसा गुज़रा है दिल पर शब-ए-ग़म आज नूरानी बहुत है दिलों पर तह-ब-तह ज़ुल्मत के पर्दे जबीं पर नूर-ए-ईमानी बहुत है इधर ही तिश्ना-ए-दीदार कम हैं उधर तो जल्वा-सामानी बहुत है किसे रास आए सौदा-ए-मोहब्बत मुनाफ़े' कम परेशानी बहुत है ज़बाँ है रहन-ए-ज़िक्र-ए-हूर-ओ-ग़िल्माँ ख़याल-ए-पाक-दामानी बहुत है करो 'महमूद' क़िस्मत पर क़नाअ'त जो मिल जाए ब-आसानी बहुत है