नहीं उड़ने की आदत क्या करोगे परिंदों से मोहब्बत क्या करोगे ज़रा सी आँच से डरते हो यारो शरारों से शरारत क्या करोगे नहीं आ पाए बाहर भीड़ से ख़ुद ज़माने से बग़ावत क्या करोगे मोहब्बत तो किसी से कर न पाए किसी से तुम शिकायत क्या करोगे तुम्हारे हाथ में ख़ंजर नहीं है शराफ़त की हिफ़ाज़त क्या करोगे