नैरंग-ए-जहाँ रंग-ए-तमाशा है तो क्या है हर एक क़दम आग का दरिया है तो क्या है हम दिल के मुसाहिब हैं हर इक बात पे राज़ी इक मोड़ ग़लत राह में आया है तो क्या है सौ रंग के दरियाओं का पानी है नज़र में अब बादिया-पैमाई-ए-सहरा है तो क्या है इक धुँद है मंज़र से ज़ियादा पस-ए-मंज़र इक वहम पर दिल वाला-ओ-शैदा है तो क्या है जी लें कि न जी पाए ये हसरत तो न होगी क़िस्मत में फ़ना हर्फ़-ए-नविश्ता है तो क्या है