नाज़-ओ-ग़म्ज़ा-नुमा कलाम आए तेरे नामे थे मेरे नाम आए हम किसे हम-सफ़र कहें कि यहाँ जितने साथ आए चंद गाम आए जाने क्या बात है कि तेरे हुज़ूर लब पे हर बात ना-तमाम आए हाए तुझ बिन तुझे ख़बर ही नहीं कितने बे-कैफ़ सुब्ह-ओ-शाम आए एक तेरे ख़ुलूस-ए-दिल के सिवा हम कहीं से न तिश्ना-काम आए अब ठहरती नहीं कहीं भी नज़र दे दुआ कोई या सलाम आए 'दौर' क्या कुफ़्र है कि अब लब पर अल्लाह अल्लाह न राम राम आए