नज़र आने से पहले डर रहा हूँ कि हर मंज़र का पस-मंज़र रहा हूँ मुझे होना पड़ेगा रेज़ा रेज़ा मैं सर से पाँव तक पत्थर रहा हूँ किसी को क्यूँ मैं ये एज़ाज़ बख़़शुंगा मैं ख़ुद अपनी हिफ़ाज़त कर रहा हूँ मुझी को सुर्ख़-रू होने का हक़ है कि मैं अपने लहू में तर रहा हूँ मिरे घर में तो कोई भी नहीं है ख़ुदा जाने मैं किस से डर रहा हूँ मैं क्या जानूँ घरों का हाल क्या है मैं सारी ज़िंदगी बाहर रहा हूँ तअल्लुक़ है इसी बस्ती से मेरा हमेशा से मगर बच कर रहा हूँ