नज़र में हर दुश्वारी रख ख़्वाबों में बेदारी रख दुनिया से झुक कर मत मिल रिश्तों में हमवारी रख सोच समझ कर बातें कर लफ़्ज़ों में तहदारी रख फ़ुटपाथों पर चैन से सो घर में शब-बेदारी रख तू भी सब जैसा बन जा बीच में दुनिया-दारी रख एक ख़बर है तेरे लिए दिल पर पत्थर भारी रख ख़ाली हाथ निकल घर से ज़ाद-ए-सफ़र हुश्यारी रख शेर सुना और भूका मर इस ख़िदमत को जारी रख