नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम गिला करें भी तो क्या बे-वफ़ा न हम हैं न तुम हम इक वरक़ पे तो हैं दो हुरूफ़ की सूरत मगर नसीब का लिक्खा हुआ न हम हैं न तुम हमारी ज़िंदगी परछाइयों की ख़ामोशी क़रीब लाती है जो वो सदा न हम हैं न तुम हम एक साथ हैं जब से ये रोग हैं तब से किसी भी रोग की लेकिन दवा न हम हैं न तुम हमारे जिस्म हैं पानी पे जैसे तस्वीरें बिखरते रंगों के दुख का सिला न हम हैं न तुम दुहाइयां जो नहीं दें 'ज़फ़र' सितम सह कर समझ रही है ये दुनिया ख़फ़ा न हम हैं न तुम