नज़र उदास जिगर बे-क़रार चुप ख़ामोश तुझे कहा न अभी सब्र यार चुप ख़ामोश ये मंज़िलों के सभी वाहिमे मचाएँ शोर मगर है किस लिए हर रहगुज़ार चुप ख़ामोश वो उम्र भर के लिए ले गया ज़बाँ मेरी कहा था उस ने कभी एक बार चुप ख़ामोश न तू न तेरी कोई बात ना तिरी आवाज़ समाँ है आज बहुत सोगवार चुप ख़ामोश अभी समाअ'तें घायल हैं तल्ख़ लफ़्ज़ों से सदाएँ भी हैं बड़ी तार तार चुप ख़ामोश यही तो है जो सताता मुझे नहीं तुझ सा ये तेरा दर्द बड़ा बुर्दबार चुप ख़ामोश ज़बाँ फिसल के तिरी शान तुझ से छीनेगी लगाम दे तू उसे मेरे यार चुप ख़ामोश 'रबाब' कोई दिलासा न हौसला मौजूद ज़बान क़ुफ़्ल-शुदा दिल दयार चुप ख़ामोश